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धराली जैसी भारी तबाही का खतरा

धराली जैसी त्रासदी का खतरा मंडरा रहा बड़कोट पर, भूवैज्ञानिकों ने जताई भारी तबाही की आशंका

धराली हादसे के बाद इन गांवों की भौगोलिक स्थिति ने नीचे बसे लोगों की चिंता बढ़ा दी है। ग्रामीण सुमन प्रसाद बधानी बताते हैं कि इन क्षेत्रों में वर्षों से दलदल बना हुआ है।

धराली जैसी त्रासदी का खतरा मंडरा रहा बड़कोट पर भूवैज्ञानिकों ने जताई भारी तबाही की आशंका

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी जिले का तहसील मुख्यालय बड़कोट, धराली जैसी विनाशकारी आपदा का खतरा मंडरा रहा है। साड़ा और उपराड़ी गांव के संवेदनशील नाले निचले इलाकों में बसावट के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं। भूवैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यहां भी धराली जैसी त्रासदी दोहराई जा सकती है।

मुख्यालय के ठीक ऊपर बसे साड़ा और उपराड़ी गांव के तोक मुरीला, सिला, दरम्याली और कुराला किसी भी समय बड़े भू-स्खलन और पानी के उफान का कारण बन सकते हैं। धराली हादसे के बाद इन गांवों की भौगोलिक स्थिति ने नीचे बसे लोगों की चिंता बढ़ा दी है।

ग्रामीण सुमन प्रसाद बधानी बताते हैं कि इन क्षेत्रों में वर्षों से दलदल बना हुआ है, जो बरसात में पहाड़ी ढलानों से आने वाले पानी से भर जाता है। यही पानी नालों के जरिए तेज रफ्तार से बड़कोट की ओर उतरता है। उन्होंने 1998 की घटना याद दिलाते हुए कहा कि तब अचानक आए पानी में सेब से लदे खच्चर बह गए थे। 2003-2008 के दौरान, जब उनकी पत्नी ग्राम प्रधान थीं, उन्होंने तत्कालीन जिलाधिकारी को खतरे से अवगत कराया था। उस समय भूवैज्ञानिकों ने गांव के विस्थापन की सिफारिश की थी, लेकिन 17 साल बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

ग्रामीण प्रेम प्रसाद बधानी ने बताया कि उनके घर की दीवारों में बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। सड़क किनारे की आरसीसी और वायर क्रेट दीवारें तिरछी हो गई हैं और पेड़ भी झुक गए हैं। ग्रामीण हरि नेगी और संजय सेमवाल के अनुसार, साड़ा गांव के अधिकांश मकानों में दरारें आ चुकी हैं, जो खतरे का स्पष्ट संकेत हैं।

स्थानीय लोग लगातार प्रशासन को पत्र लिखकर गांवों के विस्थापन और स्थायी पुनर्वास की मांग कर रहे हैं, ताकि धराली जैसी आपदा से बचा जा सके।

2024 सर्वे में भी मिली चेतावनी

वर्ष 2024 में तत्कालीन जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला के निर्देश पर भूवैज्ञानिक जी.डी. प्रसाद ने सर्वे किया था। सर्वे में पाया गया कि यह इलाका हर साल कुछ सेंटीमीटर धंस रहा है। भूवैज्ञानिकों का मानना है कि यदि यहां अतिवृष्टि हुई, तो निचले इलाकों में भारी तबाही हो सकती है।

स्थानीय लोग अब सरकार और प्रशासन से तत्काल एक्शन की मांग कर रहे हैं, क्योंकि समय रहते अगर कदम ना उठाए गए तो बड़कोट अगली बड़ी आपदा का केंद्र बन सकता है।

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