चमोली के थराली तहसील में बादल फटने से मलबा तहसील परिसर और कई मकानों में घुसा, तीन लोग लापता, स्कूल बंद, सीएम धामी कर रहे हैं निगरानी।
रजनीश दीक्षित, चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले में देर रात बादल फटने से भारी तबाही मच गई। थराली तहसील के टूनरी गदेरा में बादल फटने से अचानक भारी मात्रा में मलबा आ गया, जिससे थराली बाजार, तहसील परिसर और कई गांव प्रभावित हुए। घटना में अब तक तीन लोगों के लापता होने की जानकारी मिली है, जबकि कई घर, दुकानें और वाहन क्षतिग्रस्त हो गए हैं। थराली तहसील परिसर और राड़ीबगड़ क्षेत्र में मलबे का सैलाब घुस आया। एसडीएम आवास मलबे की चपेट में आ गया, हालांकि एसडीएम और उनका परिवार सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट हो गया।
तहसील परिसर में खड़ी कई गाड़ियां मलबे में दब गईं।
बाजार क्षेत्र पूरी तरह मलबे से भर गया और चेपड़ों गांव में कम से कम तीन दुकानें बह गईं।
गांवों में तबाही
सागवाड़ा गांव में एक व्यक्ति मलबे में दबने की सूचना है। इसी गांव की 20 वर्षीय युवती के भी मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है। थराली, कोटदीप, चेपड़ों और सागवाड़ा के कई घरों को भारी नुकसान पहुंचा है। राहत और बचाव अभियान एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें गौचर से घटनास्थल के लिए रवाना हो चुकी हैं। आईटीबीपी और एसएसबी के जवान भी बचाव कार्य में जुटे हैं। प्रभावित इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। मलबे में दबे वाहनों और दुकानों को निकालने का प्रयास जारी है। सड़क और यातायात बाधित और थराली-सागवाड़ा मार्ग बंद हो गया है। थराली-ग्वालदम मार्ग मिंग्गदेरा के पास अवरुद्ध है। कई आंतरिक मार्ग भी बंद हो गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों का संपर्क टूटा हुआ है।
शिक्षा व्यवस्था प्रभावित
भारी बारिश और आपदा की आशंका को देखते हुए थराली, देवाल और नारायणबगड़ ब्लॉक के सभी सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों में आज छुट्टी घोषित की गई है।
प्रशासन और सरकार की निगरानी
चमोली के डीएम संदीप तिवारी ने बताया कि प्रशासन पूरी सतर्कता के साथ काम कर रहा है और राहत-बचाव अभियान तेज कर दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा पर दुख जताते हुए कहा कि “सरकार हर पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। संबंधित विभागों और अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि राहत और बचाव कार्यों में किसी भी तरह की लापरवाही न हो।” मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि वह स्वयं हालात पर नजर बनाए हुए हैं और लगातार जिला प्रशासन के संपर्क में हैं। चमोली का यह बादल फटना एक बार फिर पहाड़ों की नाजुक भौगोलिक स्थिति और मानसूनी आपदाओं की गंभीरता को उजागर करता है। स्थानीय लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जा रहे हैं, लेकिन तबाही का पैमाना बड़ा माना जा रहा है।